parayavan par nibadh lekhey

 किसी एक विषय पर रूपरेखा सहित निबंध लिखिए | पर्यावरण संरक्षण  पर रूपरेखा सहित निबंध लिखिए |parayavan par nibadh lekhey



 पर्यावरण संरक्षण

अथवा

प्रदूषण समस्या


रूपरेखा-

(1) प्रस्तावना,

 (2) वैज्ञानिक प्रगति और प्रदूषण

 (3) औद्योगिक प्रदूषण,

 (4) प्रदूषण का घातक प्रभाव,

(5) पर्यावरण शुद्धि,

 (6) उपसंहार ।

प्रस्तावना-  ईश्वर ने प्रकृति की गोद में उज्ज्वल प्रकाश,  निर्मल जल और स्वच्छ वायु का वरदान दिया है। प्रकृति पर अपना आधिपत्य जमाने की धुन में वैज्ञानिक प्रगति के नाम पर प्रकृति को स्वामिनी के महत्त्वपूर्ण पद से हटाकर सेविका के स्थान पर प्रतिष्ठित कर दिया। प्रकृति की गोद में विकसित होने वाले प्रसून, सुन्दर लताएँ, हरे-भरे वृक्ष तथा चहचहाते विहंग अब उसके आकर्षण के केन्द्र-बिन्दु नहीं रहे। प्रकृति का उन्मुक्त वातावरण अतीत के गर्भ में विलीन हो गया। मानव मन की जिज्ञासा और नयी-नयी खोजों की अभिलाषा ने प्रकृति के सहज कार्यों में हस्तक्षेप करना प्रारम्भ किया है। अतः पर्यावरण में प्रदूषण होता जा रहा है। यह प्रदूषण मुख्यत: तीन रूपों में दिखायी देता है-

(1) ध्वनि प्रदूषण, 

 (2) वायु प्रदूषण,

 (3) जल प्रदूषण ।

वैज्ञानिक प्रगति और प्रदूषण-वैज्ञानिक प्रगति के नाम पर मनुष्य ने प्रकृति के सहज-स्वाभाविक रूप को विकृत करने का प्रयास किया है। इससे पर्यावरण में अनेक प्रकार से प्रदूषण हुआ है और प्राणीमात्र के लिए यह किसी भी प्रकार हितकर नहीं है। पर्यावरण एक व्यापक शब्द है, जिसका सामान्य अर्थ है-प्रकृति द्वारा प्रदान किया गया समस्त भौतिक और सामाजिक वातावरण। इसके अन्तर्गत जल, वायु, भूमि, पेड़-पौधे, पर्वत तथा प्राकृतिक | सम्पदा और परिस्थितियाँ आदि का समावेश होता है।

औद्योगिक प्रदूषण-   मानव ने खनिज और कच्चे माल के लिए खानों की खुदाई की, धातुओं को गलाने के लिए कोयले की भट्टियाँ जलायीं तथा कारखानों की स्थापना करके चिमनियों से ढेर सारा धुआँ आकाश में पहुँचाकर वायुमण्डल को प्रदूषित किया। फर्नीचर और भवन-निर्माण के लिए, उद्योगों और ईंधन आदि के लिए जंगलों की कटाई करके स्वच्छ वायु का अभाव  उत्पन्न कर दिया। इससे भूमिक्षरण और भूस्खलन होने लगा तथा नदियों के जल से बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हुई। कल-कारखानों और शोधक कारखानों के अवशिष्ट गन्दे नालों में बहकर पवित्र नदियों के जल को दूषित करने लगे। विज्ञान निर्मित तेज गति के वाहनों को दूषित धुआँ तथा तीव्र ध्वनि से बजने वाले हॉर्न और साइरनों की कर्ण भेदी ध्वनि से वातावरण प्रदूषित होने लगा। कृषि में रासायनिक खादों के प्रयोग से अनेक प्रकार के रोगों और विषैले प्रभावों को जन्म मिला। इस प्रकार वैज्ञानिक प्रगति पर्यावरण प्रदूषण में सहायक बनी। प्रदूषण का घातक प्रभाव-आधुनिक युग में सम्पूर्ण संसार पर्यावरण के प्रदूषण से पीड़ित है। हर साँस के साथ इसका जहर शरीर में प्रवेश पाता है और तरह-तरह की विकृतियाँ पनपती जा रही हैं। इस सम्भावना से इंकार नहीं किया जा सकता है कि प्रदूषण की इस बढ़ती हुई गति से एक दिन यह पृथ्वी प्राणी तथा वनस्पतियों से विहीन हो सकती है और सभ्यता तथा प्रगति एक बीती हुई कहानी बनकर रह जायेगी। पर्यावरण शद्धि-दिनों-दिन बढ़ने वाले प्रदूषण की आपदा से बचाव का मार्ग खोजना आज की महती आवश्यकता है। इसके लिए सबका सम्मिलित प्रयास अपेक्षित है। वृक्षों की रक्षा करके इस महान् संकट से छुटकारा पाया जा सकता है। ये हानिकारक गैसों के प्रभाव को नष्ट करके प्राण वायु प्रदान करते हैं, भूमि के क्षरण को रोकते हैं, जल संग्रहण में सहायता करते हैं और पर्यावरण को शुद्धता प्रदान करते हैं।

उपसंहार-पर्यावरण की सुरक्षा और उचित सन्तुलन के लिए हमें जागरूक और सचेत होना परम आवश्यक है। वायु, जल, ध्वनि तथा पृथ्वी के प्रत्येक प्रकार के प्रदूषण को नियन्त्रित कर धीरे-धीरे उसे समाप्त करना आज के युग की पुकार है।










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