वीर रस की परिभाषा उदाहरण सहित लिखिये। vir ras ki paribhasha lekhey |
प्रश्न. शृंगार रस की परिभाषा उदाहरण सहित लिखिये।
उत्तर- शृंगार रस की परिभाषा - "सहदय के हृदय में स्थित रति नामक स्थायी भाव का जब विभाव, अनुभाव एवं
संचारी भाव से संयोग होता है वहाँ श्रृंगार रस होता है।"
उदाहरण-
राम को रुप निहारति जानकी, कंकन के नग की परछाई।
यातै सवै सुधि भूलि गईं, कर टेक रही पल टारत नाहीं।
प्रश्न. शृंगार रस के कितने भेद हैं? उदाहरण सहित लिखिये।
उत्तर- शृंगार रस के भेद श्रृंगार रस के दो भेद होते हैं-
1) संयोग श्रृंगार
(2) वियोग श्रृंगार
संयोग शृंगार - जहाँ नायक और नायिका के मिलने का चित्रण होता है, वहाँ संयोग श्रृंगार होता है।
उदाहरण-
बतरस लालच लाल की, मुरली धरी लुकाय।
सौंह करै भौहनि हँसे, सौंह करै नटि जाय।।
वियोग श्रृंगार - "काव्य में जहाँ नायक और नायिका के बिछड़ने का चित्रण होता है, वहाँ वियोग श्रृंगार होता है।"
उदाहरण-
दरद की मारु वन-वन डोल्यू, वैद्य मिल्या नहीं कोय।
मीरा की प्रभु पीर मिटैगी, जब वैद्य संवलिया होय।।
प्रश्न . वीर रस की परिभाषा उदाहरण सहित लिखिये।
उत्तर- वीर रस - “सहदय के हृदय में स्थित उत्साह नामक स्थायी भाव का जब विभाव, अनुभाव तथा संचारी भाव से संयोग होता है तब वहाँ वीर रस होता है।
उदाहरण-
(6) बुंदेले हरबोलों के मुँह, हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो, झांसी वाली रानी थी।।
(2) वह खून कहो किस मतलब का, जिसमें उबाल का नाम नहीं।
वह खून कहो किस मतलब का, आ सके देश के काम नहीं।।
प्रश्न 10. शान्त रस की परिभाषा उदाहरण सहित लिखिये।
उत्तर 11- शांत रस - "सहृदय के हृदय में स्थित निर्वेद नामक स्थायी भाव का जब विभाव, अनुभाव तथा संचारी भाव से संयोग होता है तब वहाँ शांत रस होता है।"
उदाहरण- चलती चाकी देखकर, दिया कबीरा रोय।
दो पाटन के बीच में, साबुत बचा न कोय।।
प्रश्न 11. रौद्र रस की परिभाषा उदाहरण सहित लिखिये।
उत्तर- रौद्र रस की परिभाषा - "सहृदय के हृदय में स्थित क्रोध नामक स्थायी भाव का जब विभाव, अनुभाव तथा
संचारी भाव से संयोग होता है, वहाँ रौद्र रस होता है।
उदाहरण -
श्रीकृष्ण के सुन वचन, अर्जुन क्रोध से जलने लगे।
सब क्रोध अपना भूलकर, करतल युगल मलने लगे।।
प्रश्न 12 वीभत्स रस की परिभाषा उदाहरण सहित लिखिये।
उत्तर - वीभत्स रस - "सहृदय के हृदय में स्थित घृणा नामक स्थायी भाव का जब विभाव, अनुभाव तथा संचारी भाव
से संयोग होता है वहाँ वीभत्स रस होता है।
उदाहरण -
सिर पर बैठो काग, अखियाँ दोऊ खात निकारत।
खींचहि जीवहिं स्यार, उर अति आनंद पावत।।
प्रश्न 13. भयानक रस की परिभाषा उदाहरण सहित लिखिये।
उत्तर- भयानक रस - “सहृदय के हृदय में स्थित भय नामक स्थायी भाव का जब विभाव, अनुभाव तथा संचारी भाव
से संयोग होता है, वहाँ भयानक रस होता है।"
उदाहरण -
नभ ते झपटत बाज लखि, भूल्यों सकल प्रपंच।
कपित तन व्याकुल नयन, लावक हिल्यो न रंच।।
प्रश्न 14. अद्भुत रस की परिभाषा उदाहरण सहित लिखिये।
उत्तर- अद्भुत रस - “सहृदय के हृदय में स्थित विस्मय नामक स्थायी भाव का जब विभाव, अनुभाव तथा
संचारी भाव से संयोग होता है, उसे अद्भुत रस कहते हैं।
उदाहरण -
एक अचंभा देखा रे भाई, सिंह ठाडा चरावै गाई।
आगे पूत पीछे भई माई, चेला के गुरु लागै पाई।।
प्रश्न 15. करूण रस की परिभाषा उदाहरण सहित लिखिये।
उत्तर -करुण रस - “सहृदय के हृदय में स्थित शोक नामक स्थायी भाव का जब विभाव, अनुभाव तथा
से संयोग होता है तब वहाँ करुण रस होता है।"
उदाहरण-
देखि सुदामा की दीन दशा, करुना करके करुनानिधि रोए
पानी परात को हाथ हुयौ नहिं नैनक के जलसोंपग धोए।
प्रश्न 18. हास्य रस की परिभाषा उदाहरण सहित लिखिये।
उत्तर - हास्य रस - "सहृदय के हृदय में स्थित हास नाम स्थायी भाव का जब विभाव, अनुभाव तथा संचारी
भाव से संयोग होता है तब वहाँ हास्य रस होता है।"
उदाहरण
कहा बदरिया ने बंदर से, चलों नहाये गंगा
बच्चों को घर में छोडेंगे, होने दो हुडदंगा।
प्रश्न 17. वात्सल्य रस की परिभाषा उदाहरण सहित लिखिये।
उत्तर- वात्सल्य रस - “सहृदय के हृदय में स्थित वत्सल्य नामक स्थायी भाव का जब विभाव, अनुभाव तथा
संचारी भाव से संयोग होता है तब वहाँ वात्सल्य रस होता है।"
उदाहरण -
धूरि भरे अति सोभित स्यामजू, तैसि बनी सिर सुन्दर चोटी।"
वात्सल्य रस के सम्राट सूरदास जी है।
प्रश्न 18 छन्द में मात्रा लगाने के नियमों को लिखिये।
उत्तर- मात्रा लगाने के नियम -
1. सभी हस्व स्वरों और उनके योग से उच्चारित वर्गों पर लघु मात्रा लगती है।
2. दीर्घ स्वरों और उनके सहयोग से उच्चारित व्यंजनों पर गुरू मात्रा लगती है।
3. अनुस्वार और विसर्ग युक्त वर्णों पर गुरु मात्रा लगती है चाहें वे हस्व वर्ण ही हों।
4. संयुक्त अक्षर से पूर्व के वर्ण पर गुरु मात्रा लगती है। यदि शब्द का पहला वर्ण संयुक्त है तो उस पर वर्ण के
अनुसार मात्रा लगेगी अर्थात् यदि वह लघु वर्ण है तो लघु और दीर्घ वर्ण है तो गुरू मात्रा लगेगी।
5. संयुक्ताक्षर के पूर्व के वर्ण पर यदि बल नहीं पड़ता तो उसकी मात्रा लघु ही रहेगी।
छन्द के कितने भेद है उदाहरण सहित लिखिये।
उत्तर-छंद के भेद छंद के दो भेद होते हैं -
(अ)मात्रिक छन्द
(ब) वर्णिक छन्द
(अ) मात्रिक छंद - जिन छंदों की गणना (गिनती) मात्राओं के आधार पर की जाती है उन्हें मात्रिक
छंद कहते हैं।
उदा. -
दोहा, चौपाई, रोला, सोरठा आदि।
(क) वर्णिक छंद- जिन छंदों की गणना वर्णों के आधार पर की जाती है उन्हें वर्णिक छंद कहते हैं।
उदा. -
इन्द्रवजा, मालिनी, शिखरणी आदि।
प्रश्न 20 चौपाई छंद की परिभाषा उदाहरण सहित लिखिये।
चौपाई छंद की परिभाषा - यह एक सममात्रिक छंद है। इसके चार चरण होते हैं। इसके प्रत्येक चरण में
16 मात्राएं होती है।
उदा.-
वरसा विगत सरद ऋतु आई लछिमन देखहुँ परम सुहाई
फूले काँस सकल महि छाई. जनु वरषा कृत प्रकट बुढ़ाई
प्रश्न 1 दोहा छंद की परिभाषा उदाहरण सहित लिखिये।
उत्तर -दोहा छंद की परिभाषा - यह एक मात्रिक छंद है। इसके चार-चरण होते हैं। इसके चार चरण होते है इसके
प्रथम एवं तृतीय चरण में 13-13 मात्राएं एवं द्वितीय और चतुर्थ चरण में 11-11 मात्राएं होती हैं।
उदा.-
मेरी भव बाधा हरी, राधा नागरि सोय
जा की झाँई परे, स्याम हरित दुति होय।
प्रश्न.2 अलंकार के कितने भेद लिखिये।
उत्तर अलंकार के भेद-अलंकार के भेद-अंलकार के मुख्य 3 भेद है-
1] शब्दालंकार
2) अर्थालंकार,
3) उभयालंकार
प्रश्न 23.शब्दालंकार की परिभाषा व प्रकार लिखिये।
उत्तर 1) शब्दालंकार- काव्य में जहाँ शब्द विशेष के प्रयोग से सौन्दर्य में वृद्धि होती है, वहाँ शब्दालंकार होता है।
शब्दालंकार के प्रकार - प्रमुख शब्दालंकार निम्नलिखित है-
1. अनुप्रास
2. यमक
3. श्लेष।
प्रश्न24. अनुप्रास अलंकार की परिभाषा उदाहरण सहित लिखिये।
उत्तर . अनुप्रास अलंकार -जिस काव्य रचना में एक ही वर्ण की दो या दो से अधिक बार आवृति होती हैं, वहाँ
अनुप्रास अलंकार होता है।
उदाहरण-रघुपति राघव राजाराम ।
यहाँ पर र' वर्ण की आवृति होती रही है।
प्रश्न 25.यमक अलंकार की परिभाषा उदाहरण सहित लिखिये।
उत्तर- यमक अलंकार-काव्य में जहाँ एक ही शब्द बार-बार आए किन्तु उसका अर्थ अलग-अलग हो, वहाँ यमक
अलंकार होता है।
उदाहरण-काली घटा का घमंड घटा।
यहाँ घटा शब्द के दो अर्थ हैं। घटा-घट जाना / कम हो जाना। घटा -काले बादल।
प्रश्न 28.श्लेष अलंकार की परिभाषा उदाहरण सहित लिखिये।
उत्तर- श्लेष अलंकार- श्लेष अलंकार में एक ही शब्द के दो या दो से अधिक अर्थ होते हैं।
उदाहरण-मंगन को देखि पट देत बार-बार है।
यहाँ पट के दो अर्थ हैं- 1. वस्त्र 2. किवाड़।
1. उपमा
2 रूपक
प्रश्न .अर्थालंकार की परिभाषा उदाहरण सहित लिखिये।
उत्तर अर्थालंकार-काव्य में जहाँ शब्दों के अर्थ से चमत्कार उत्पन्न होता है, वहाँ अर्थालकार होता है. प्रमुख अर्थालंकार निम्न है:-
3. उत्प्रेक्षा।
प्रश्न 28. उपमा की परिभाषा उदाहरण सहित लिखिये।
उत्तर-. उपमा अलंकार - जहाँ एक वस्तु अथवा प्राणि की तुलना अत्यन्त सादृश्यता के कारण प्रसिद्ध वस्तु या प्राणी
से की जाती है, वहाँ उपमा अलंकार होता है।
उदाहरण-
नंदन वन सी फूल उठी बह, छोटी सी कुटिया मेरी।
वाचक शब्द- सा, सी, समान, सरीखा, सम।
प्रश्न.29 उपमा अलंकार के कितने अंग होते है?
उत्तर-उपमा अलंकार के अंग है-
उपमेय-जिसकी तुलना दी जाए।
उपमान-जिससे तुलना की जाए।
साधारण धर्म-उपमेय और उपमान में गुण विशेषता।
बाचक शब्द-समानता बाचक शब्द सी, सम, ज्यों, सा आदि (रूप, गुण धर्म की समानता)
प्रश्न 30.रूपक अलंकार की परिभाषा उदारण सहित लिखिये।
उत्तर रूपक अलंकार-काव्य में जहाँ उपमेय में उपमान का आरोप होता है वहाँ रूपक अलंकार होता है।
उदाहरण-चरण सरोज पखारन लागा।
इसमें वाचक शब्द का लोप होता है।
प्रश्न1. उत्प्रेक्षा अलंकार की परिभाषा उदारण सहित लिखिये।
उत्तर, उत्प्रेक्षा अलंकार - काव्य में जहाँ उपमेय में उपमान की संभावना व्यक्त की जाती है वहाँ उत्प्रेक्षा अंलकार होता है।
उदाहरण-"मानो झूम रहे है तरु भी.
मंद पवन के झोंको से।"
वाचक शब्द-जनु, जानो, मनु, मानो, मानहुँ आदि।
प्रश्न 32. उभयलंकार की परिभाषा उदारण सहित लिखिये।
उत्तर उपयालंकार - जहाँ काव्य में ऐसा प्रयोग किया जाए जिससे शब्द और अर्थ दोनों में चमत्कार हो वहाँ
उभयालंकार होता है।
उदाहरण -संकर, संसृष्टि।