सरदार वल्लभ भाई पटेल पर निबंध |Essay on Sardar Vallabhbhai Patel in hindi
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सरदार वल्लभ भाई पटेल की जीवनी परिचय
सरदार पटेल का जन्म गुजरात राज्य के नाडियाड तालुके के करमसंद गाँव में सन 1875 को हुआ था । इनके पिताजी श्री झवर भाई एक साधारण किसान थे , जो कि साहसी और धार्मिक प्रवृत्ति के इंसान थे। वे बचपन से ही साहसी और संघर्ष प्रिय थे। वे विद्यालय में भारतीय छात्रों के साथ होने वाले अन्याय का प्रथम विरोध करते थें । इनकी आरंभिक शिक्षा अपने पैतृक गांव नाडियाड में हुई थी। इनका विवाह 18 वर्ष की आयु में हुआ । विवाह के इनकी पत्नी का आसमयिक निधन हो गया। इस तरह उनकी पत्नी एक पुत्र और पुत्री की छोड़कर -चली गई ,इसके बाद पटेल ने कभी दुबारा विवाह नही किया । राजनीति में प्रवेश कुछ वर्षों तक सरदार वल्लभ भाई पटेल ने वकालत का कार्य किया . जब 1919 में केंद्रीय असेम्बली का चुनाव हुआ , जिसमें उन्होंने भाग लिया और सफल रहे। फिर पटेली को अहमदाबाद नगरपालिका का अध्यक्ष बनाया गया, तथा असदृयाला आंदोलन में सक्रिय भूमिका और इस संग्राम के सफल रहने के बाद पटेल जी की गिनती अखिल भारतीय नेताओं में की जाने लगी। उन्होंने बारडोली के किसान आंदोलन , नमक कानून के विरुद्ध चले आंदोलन में भी नेतृत्व किया तथा इसी समय सरदार पटेल को तीन महीने की कठोर कारावास की सजा सुनाई गई।
सरदार वल्लभ भाई पटेल पर निबंध |
यूं पड़ा नाम सरदार पटेल- सरदार पटेल को सरदार नाम, बारडोली सत्याग्रह के बाद मिला, अब बारडोली कस्बे में सशक्त सत्याग्रह करने के लिए उन्हे बारडोली का सरदार कहा गया । बाद में सरदार उनके नाम के साथ ही जुड़ गया ।
आजादी के बाद सरदार पटेल द्वारा किए गए अहम कार्य - बिना किसी युद्ध के रिसासतो की देश में मिलाने का काम सरदार बल्लभ भाई पटेल ने कर दिखाया , ऐसा मुमकिन सिर्फ से इस वजह हो पाया क्योंकि सबको उन पर यकीन था विना रक्त बहाए 560 रियासती को भारत में मिलाने का कार्य 1947 के नवम्बर के महीने में सफल हो गया। भारत के इतिहास से लेकर आप कल उनके असा काम बिना हिंसा के देश का एकीकरण करना सिर्फ वल्लभ भाई के लिए संभव था और इस बात से गांधी जी भी सहमत थे। उन दिनों उनके उस कार्य में सफलता प्राप्त करने की वजह से वो अखबारों में चर्चा के पात्र बने हुए थे।
ऐसा भी कहा जाता है कि यदि सरदार पटेल भारत के पहले प्रधानमंत्री बनते तो आज पकिस्तान और चीन की वजह से जिन समस्याओ का सामना भारत को करना पड़ता है उससे हम वंचित रहते।
मृत्यु:
गांधी जी की मृत्यु ।1948 में होने के बाद पटेल को बहुत गहरा आघात पहुंचा , जिस वजह से उनको कुछ ही समय बाद हार्ट अटैक हुआ। उससे वह उभर नहीं पाए और 15 दिसंबर 1950 में इस दुनिया को अलविदा कह कर चले गए।
उपसंहार - यधपि पटेल आज हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनके सिद्धांत व आदर्श सदैव हमारा पथ प्रदर्शन करते रहेंगे। उनकी अनुपम देश सेवा के लिए सारा राष्ट्र सदैव कृतज्ञ रहेगा।
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