निदानात्मक मूल्यांकन 2024 |nidanatmak aklan class 9th,11th
निदानात्मक आकलन कक्षा-9वीं,11वीं [nidanatmak aklan class 9th,11th]- हैलो दोस्तों आप सभी का स्वागत है हमारे वेबसाइट मे और आज के इस पोस्ट में आपको निदानात्मक आकलन 9वीं,11वी के बारे में बताऊँगा |आप सभी को हमारी वेबसाइट www.boardjankari.com के माध्यम से आपको निदानात्मक मूल्यांकन सम्पूर्ण जानकारी मिल जायगी
निदानात्मक आकलन 2024 |
निदानात्मक कक्षाओं हेतु माड्यूल
कक्षा : 9वीं, 11 वीं
सत्र-2024
समय शिक्षा अभियान (सेकेण्डरी एज्युकेशन) लोक शिक्षण संचालनालय, म.प्र.
रेमेडियल टीचिंग (निदानात्मक शिक्षण)
दिशा-निर्देश
निदानात्मक शिक्षण (Remedial Teaching) का उद्देश्य विद्यार्थियों की पाठ्यक्रम संबंधी कठिनाईयों का
निदान करना, उनकी कठिनाईयों/समस्याओं को दूर करने में सहायता के लिए आवश्यक मार्गदर्शन प्रदान करना है,
ताकि विद्यार्थी अगली कक्षा में जाने के लिए तैयार हो सके।
निदानात्मक शिक्षण (Remedial Teaching) के चार चरण है-
चरण 1-सिखाना
चरण 2- रिव्यू
चरण 3- कमजोरी जानने के लिए टेस्ट
चरण 4- टेस्ट से पता चली कमजोरी हेतु पुनः उपचारात्मक अभ्यास कराना ।
निदानात्मक शिक्षण के प्रभावी क्रियान्वयन हेतु यह आवश्यक है कि शाला के प्राचार्य नियमित कक्षाओं की तरह
निदानात्मक कक्षाओं के संचालन की जवाबदेही वहन करें. इस ओर ध्यान दें तथा समुचित रूप से उद्देश्य के अनुरूप
कार्यवाही करें।
इस हेतु आपसे निम्नानुसार कार्यवाही अपेक्षित है-
• विगत वर्षों के अनुभव से अर्द्धवार्षिक परीक्षाओं के परिणाम के आधार पर कक्षा 9वीं तथा कक्षा 10वीं में औसतन 50
प्रतिशत विद्यार्थी डी एवं ई ग्रेड में है एवं कक्षा 11वीं एवं 12वीं में भी लगभग 30 से 35 प्रतिशत विद्यार्थी डी एवं ई
ग्रेड में है, ऐसी स्थिति में सभी कक्षाओं 9वीं, 10वीं, 11वीं एवं 12वीं के लिए रेमेडियल कक्षाओं का संचालन
आवश्यक है।
• विमर्श पोर्टल पर अर्द्धवार्षिक परीक्षा परिणाम की प्रविष्टि की जा रही है । शालावार अर्द्धवार्षिक परीक्षा परिणाम का
विश्लेषण करें।
• ग्रेड के आधार पर सेक्शन बनाना अर्द्धवार्षिक परीक्षाओं में विद्यार्थियों के ग्रेड के आधार पर सेक्शन पुनः बनाये जा
सकते है-
० ऐसी शालाएं जहाँ एक से अधिक सेक्शन हैं वहाँ डी एवं ई ग्रेड के विद्यार्थियों के लिए पृथक
सेक्शन बनाया जाये ताकि विद्यार्थियों के स्तर के अनुरूप पठनपाठन हो सके।
० ऐसी शालाएं जहाँ एक ही सेक्शन हैं वहाँ डी एवं ई ग्रेड के विद्यार्थियों की संख्या के आधार पर
शिक्षक द्वारा निर्णय लिया जायेगा कि उसे किस तरह पढ़ाना है।
• अर्द्धवार्षिक परीक्षाओं में ई ग्रेड को भी दो भागों E, एवं E, में बाँटा गया है, ताकि विद्यार्थियों के वास्तविक स्तर की
जानकारी शिक्षक को हो सके तथा वह विद्यार्थियों को इस तरह पढ़ाये कि विद्यार्थी न्यूनतम दक्षता प्राप्त कर सके।
कक्षा 9वीं में तीसरा एवं चौथा कालखण्ड (80 मिनट) तथा कक्षा 10वीं में दूसरा एवं तीसरा कालखण्ड (80 मिनट)
निदानात्मक कक्षाओं के लिये होगा। कक्षा 11वीं एवं 12वीं के लिए शैक्षणिक केलेण्डर अनुसार निदानात्मक कक्षाओं
का संचालन किया जायेगा।
• ऐसी शालाएं जहाँ विषयमान से शिक्षक नहीं है वहाँ
० एक परिसर एक शाला वाले स्कूलों की प्राथमिक/माध्यमिक शालाओं के स्नातक/स्नातकोत्तर उपाधि
धारी शिक्षकों का उपयोग हाई/हायर सेकेण्डरी में विषय अध्यापन हेतु अनिवार्यतः किया
जाये।
० ऐसे शिक्षकों को प्राथमिकता दी जाये जहाँ स्कूलों की आपस में साझेदारी हो सकती है। उदाहरण के लिये
यदि एक स्कूल में गणित के शिक्षक उपलब्ध है, किन्तु अंग्रेजी के नही है, जबकि निकटस्थ किसी स्कूल में
अंग्रेजी के शिक्षक उपलब्ध है किन्तु गणित के नही, ऐसी स्थिति में दोनों स्कूलों के विषय शिक्षकों की सेवायें
साझा कर ली जायें। विषय शिक्षण की इस साझेदारी व्यवस्था कराने को प्राथमिकता दी जाये।
कक्षा-9वीं के महत्वपूर्ण प्रश्न
कक्षा-10वीं के महत्वपूर्ण प्रश्न
कक्षा-11वीं के महत्वपूर्ण प्रश्न
कक्षा-12वीं के महत्वपूर्ण प्रश्न
• प्रशिक्षण
० निदानात्मक कक्षाओं हेतु कक्षा 9 एवं 10 के लिए हिन्दी, अंग्रेजी, गणित, विज्ञान एवं सामाजिक
विज्ञान कुल पाँच विषयों के मॉड्यूल जिलों को ईमेल से भेजा गया है। मॉड्यूल विमर्श पोर्टल पर भी
उपलब्ध है। गत वर्ष निदानात्मक कक्षाओं हेतु राज्य स्तर से जिला स्तरीय रिसोर्सपर्सन्स को प्रशिक्षित भी किया
जा चुका है।
० निदानात्मक कक्षाओं हेतु तैयार मॉड्यूल को वार्षिक परीक्षा के ब्लू प्रिन्ट को ध्यान में रखकर विषय
विशेषज्ञों द्वारा तैयार किया गया है। जिसमें अध्याय के लिये प्राथमिकता का क्रम तैयार किया गया है। जिसके
अनुसार ही रेमेडियल टीचिंग का पठन पाठन कराया जाना अनिवार्य होगा।
० अतिरिक्त जिला परियोजना समन्वयक द्वारा जिला स्तर से मॉड्यूल की विषयवार दो-दो प्रतियाँ, प्रति
विद्यालय करवाकर उपलब्ध करवाई जायेंगी। जिला स्तर पर समस्त प्राचार्यो का उन्मुखीकरण किया जायेगा।
जिसमें रेमेडियल टीचिंग मॉड्यूल की प्रत्येक विषय की एक-एक प्रति प्राचार्यो को तथा 1-1 प्रति विषय शिक्षकों
के प्रशिक्षण में शिक्षकों को प्रदान करेंगे।
० निदानात्मक कक्षाओं के लिए प्रत्येक स्कूल से 1 शिक्षक को विषयमान से प्रशिक्षण दिया जाना है। शिक्षकों का
प्रशिक्षण अनिवार्य होगा। अनुपस्थित शिक्षकों का प्रशिक्षण दिवस का वेतन देय नहीं होगा। जिला स्तर पर
प्रशिक्षण की कार्यवाही दिनांक तक आवश्यक रूप से सम्पन्न करें।
• पठन-पाठन
० त्रैमासिक परीक्षाओं का विश्लेषण विमर्श पोर्टल पर उपलब्ध है। प्रत्येक शाला के पास डी एवं ई ग्रेड के
विद्यार्थियों की सूची उपलब्ध है। ई ग्रेड में भी दो श्रेणियाँ बनाई गई है, E, ग्रेड अर्थात ऐसे विद्यार्थी जिन्होने 20
से 33 के मध्य अंक प्राप्त किये है, तथा Eग्रेड अर्थात ऐसे विद्यार्थी जिन्होने 0 से 20 तक अंक प्राप्त
किये है। E, श्रेणी के विद्यार्थियों पर विशेष रूप से ध्यान दिया जावे ताकि ये विद्यार्थी न्यूनतम दक्षता
प्राप्त कर सके ।
० ऐसी शालाएं जहाँ डी एवं ई ग्रेड के अलग-अलग सेक्शन निर्मित है वहाँ सभी कालखण्ड में रेमेडियल
टीचिंग के मॉड्यूल से ही पढ़ाया जायेगा। अर्थात विषयमान से लगाए जा रहे कालखण्ड में भी तथा
रेमेडियल टीचिंग के 2 कालखण्ड में भी। ऐसे सेक्शन के लिए प्रत्येक दिवस किन्ही 2 विषयों के लिए
80-80 मिनट के कालखण्ड एवं शेष 4 विषयों के 40-40 मिनट के कालखण्ड
80 मिनट वाले
कालखण्ड़ के विषय प्रतिदिन परिवर्तित रहेंगें। अर्थात यदि प्रथम दिवस हिन्दी एवं अंग्रेजी के 80 मिनट हैं
तो अगले दिन विज्ञान एवं गणित के 80-80 मिनट के कालखण्ड होंगें। इस आधार पर समयसारणी को
तैयार करने का दायित्व प्राचार्य का होगा।
० रेमेडियल टीचिंग में पठनपाठन हेतु राज्य स्तर से दिए गए मॉड्यूल का उपयोग किया जायेगा। विमर्श
पोर्टल पर उपलब्ध मॉड्यूल की फोटोकॉपी अथवा प्रिंटिंग का व्यय रेमेडियल टीचिंग मद से
किया जायेगा। रेमेडियल टीचिंग हेतु एक पंजी प्रत्येक विषय के शिक्षक द्वारा संधारित की जायेगी। जिसमें
विद्यार्थी की उपस्थिति, उसके टेस्ट के नंबर, प्रत्येक अध्याय पर उसकी समझ, कमी का कारण इत्यादि का
विवरण लिखा जायेगा।
० रेमिडियल कक्षाएँ सामान्यतः उन्हीं शिक्षकों के द्वारा ली जानी चाहिए जिन शिक्षकों द्वारा कक्षा में अध्यापन
कराया जाता है क्योंकि उन्हे यह पता होगा कि किस विद्यार्थी का स्तर क्या है तथा किन टॉपिक्स में उन्हे
समस्या है।
. अभ्यास
० प्रत्येक विषय हेतु रेमिडियल की प्रत्येक विद्यार्थी की एक कॉपी बनवाई जायेगी। जो शिक्षक अध्यापन
करायेंगे वे प्रतिदिन की दिनांक एवं टॉपिक कॉपी पर लिखवायेंगें।
० विद्यार्थियों से बार बार अभ्यास कराकर उन्हें उस दक्षता में दक्ष बनाया जायेगा। निदानात्मक
कक्षाओं का
मूल उद्देश्य विद्यार्थियों से सतत अभ्यास करवाकर उन्हे दक्ष बनाना है। अतः सिर्फ मॉड्यूल के पढ़ाने से
समस्या का हल नहीं होगा अपितु पढ़ाई के साथ अभ्यास कराने से विद्यार्थियों के स्तर का उन्नयन होगा।
० शिक्षक सुनिश्चित करेंगे कि विद्यार्थियों को विद्यालय एवं घर पर अभ्यास हेतु पर्याप्त समय मिले।
0 ग्राफ/ चित्र/मॉडल, प्रयोग करके दिखाना/करवाना, वर्कशीट से अभ्यास कराया जायेगा।
होंगें।
० प्रतिदिन निदानात्मक शिक्षण से सम्बंधित विषय पर अलग से कक्षा कार्य एवं गृह कार्य देना और जांच कर
त्रुटियों को सुधरवाया जायेगा।
• मूल्यांकन-
० विद्यार्थियों का प्रति माह टेस्ट लिया जायेगा मॉड्यूल में ही टेस्ट पेपर दिए गए है तथा उसका रिकार्ड
संधारित किया जायेगा।
० टेस्ट के आधार पर विद्यार्थी क्या सीख नहीं पाया इसका आकलन कर उन विद्यार्थियों को पुनः
उसी
टॉपिक को पढ़ाया जायेगा।
० निरीक्षणकर्ता विद्यार्थियों की कॉपी देखकर रेमेडियल टीचिंग का अवलोकन करेंगे।
० अर्द्धवार्षिक परीक्षा का पाठ्यक्रम शैक्षणिक केलेण्डर के अनुसार ही होगा।
• निरीक्षण/मॉनिटरिंग
० समस्त विद्यार्थियों की काउंसलिंग की जायेगी। प्राचार्य प्रत्येक सप्ताहिक बैठक में शिक्षकवार, विषयवार,
विद्यार्थीवार समीक्षा करेंगे। जिसमें विद्यार्थियों को आने वाली कठिनाईयों पर विशेष चर्चा
इस पूर्ण
कार्यवाही के अभिलेखों का संधारण करेंगे।
० रेमेडियल टीचिंग के प्रभावी क्रियान्वयन हेतु यह आवश्यक है कि शाला के प्राचार्य नियमित कक्षाओं की तरह
रेमेडियल कक्षाओं के संचालन की जवाबदेही तय करें एवं इस ओर ध्यान दें तथा समुचित रूप से उद्देश्य के
अनुरूप कार्यवाही करें। सभी विद्यार्थियों को न्यूनतम दक्षता हासिल करवाना सुनिश्चित करेंगे।
० जिला स्तरीय टीम द्वारा आकस्मिक मॉनिटरिंग जिला स्तर से अकादमिक दल के अतिरिक्त नियमित
रेमिडियल कक्षाओं के संचालन की व्यवस्था की मॉनिटरिंग हेतु टीम गठित की जाएगी जो आकस्मिक रूप से
शालाओं का निरीक्षण कर यह सत्यापित करेंगी कि प्रत्येक शाला में रेमिडियल कक्षा चल रही है या नहीं।
० इस सम्पूर्ण कार्य की मॉनिटरिंग का दायित्व जिला शिक्षा अधिकारी एवं अतिरिक्त जिला परियोजना समन्वयक
का होगा।
करेंगे।
निदानात्मक एवं उपचारात्मक शिक्षण pdf
उपलब्धि परीक्षण और निदानात्मक परीक्षण में अंतर
डायग्नोस्टिक टेस्ट इन हिंदी
निदानात्मक मूल्यांकन
विषय :- डायग्नोस्टिक असेसमेंट दिनांक
--00--
राज्य के माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक कक्षाओं में सीखने के परिणामों में सुधार करने के लिए
निदानात्मक आकलन दिनांक को प्रातः 9 बजे से 12 बजे तक किये जाने के निर्देश थे।
जिलों द्वारा बोर्ड
मूल्यांकन की
गर्यवाही प्रचलित होने से दिनांक परिवर्तन का अनुरोध किया
गया है। इस आधार पर परिवर्तित दिनांक होगी। जिसमें कक्षा 9 वीं एवं कक्षा 11वीं के
चयनित शालाओं के विद्यार्थी सम्मिलित होंगे। जिले में नियुक्त DKRG-1 आकलन का प्रशासनिक प्रभारी
व DKRG-2 आकलन का प्रशिक्षण प्रभारी होगे। जिले मे आकलन हेतु सम्पूर्ण व्यवस्था आपमें मार्गदर्शन में
होगी। प्रश्नपत्र बुकलेट व ओ.एम.आर.1 एवं 2 के सील्ड पैकेट लोक शिक्षण संचालनालय भोपाल से
आपके कार्यालय/वितरण केन्द्र तक दिनांक तक भेजे जायेगे। जिसे आपके मार्गदर्शन मे
DKRG-1 द्वारा प्राप्त किये जायेगे। सम्पूर्ण निदानात्मक आकलन का उत्तरदायित्व आपका होगा| DKRG-1
और 2 का प्रशिक्षण दिनांक एवं को किया जा चुका है। चयनित शालाओं की
सूची प्रशिक्षण के दौरान सभी DKRG को भेजी जा चुकी है। जिले में चयनित शालाओं के प्राचार्यों को
आकलन हेतु केन्द्र अधीक्षक एवं पर्यवेक्षकों को नियुक्त कर उनकी सूची लोक शिक्षण संचालनालय को
भेजे तथा निर्धारित दिनांक को इनका प्रशिक्षण आयोजित करायें। जिला एवं विद्यालय स्तर पर
प्रपत्र/सहपत्रों की फोटोकॉपी/प्रिंट में व्यय का भुगतान परीक्षामद से करें। दिनांक 13.04.2022 को
कक्षा 9वीं एवं 11वीं की परीक्षाएं समाप्त हो रही है जिससे चयनित विद्यालयों के प्राचार्यों को आंकलन
दिनांक को समस्त विद्यार्थियों के आंकलन में सम्मिलित होने हेतु परीक्षा तिथियों में ही सूचित करने के
निर्देश दें तथा सभी संबंधित शालाओं के विद्यार्थियों को अनिवार्यता आंकलन दिनांक को शाला में
उपस्थित कराएं। यह सूचित करें।
संलग्न:-1. निदानात्मक आकलन चयनित शालाओं की सूची
2. मेन्युअल, पी.पी.टी. व प्रपत्र 1 से 7
(डॉ. कामना आचार्य)
अपर संचालक
लोक शिक्षण, म.प्र.
1. प्रमुख सचिव स्कूल शिक्षा की ओर सूचनार्थ।
2. आयुक्त, लोक शिक्षण, म.प्र. की ओर सूचनार्थ ।
3. संचालक, राज्य शिक्षा केन्द्र , म.प्र. की ओर सूचनार्थ ।
4. संयुक्त संचालक समस्त संभाग म.प्र. की ओर सूचनार्थ।
5. DKRG-1 व DKRG-2 समस्त जिले म.प्र. की ओर सूचनार्थ एवं आवश्यक कार्यवाही बावत्।
अपर संचालक
लोक शिक्षण, म.प्र.