Anuchchhed Lekhan class 10th in Hindi| अनुच्छेद लेखन के उदाहरण

Anuchchhed-Lekhan (Paragraph Writing) अनुच्छेद-लेखन|How to Write Anuched Lekhan in Hindi


1) अनुच्छेद लेखन

हम अपने मन के भावों और विचारों को अनेक प्रकार से प्रकट करते हैं। जैसे- कभी विस्तार से,

कभी संक्षेप में, कभी हाँ, हूँ, न, नहीं आदि  कहकर तथा कभी सिर अथवा हाथ आदि हिलाकर।

जब हम किसी विषय पर अपने भाव या विचार विस्तार से प्रकट करते हैं तो उसे निबंध-लेखन कहते हैं किंतु जब

 हम किसी विषय पर अपने विचार संक्षेप में प्रकट करते हैं तो इसे अनुच्छेद-लेखन कहते हैं।

अनुच्छेद लिखते समय ध्यान रखने योग्य बातें:

1. अनुच्छेद अधिक से अधिक 100 शब्दों का होना चाहिए।

2. वाक्य छोटे-छोटे और एक-दूसरे से जुड़े हों।

3. भाषा सरल किंतु प्रभावशाली हो।

4. अनुच्छेद में भूमिका तथा उपसंहार की आवश्यकता नहीं होती।

5. यदि हम अनुच्छेद के आरंभ में अनुच्छेद से संबंधित सूक्ति, उदाहरण या कविता की पंक्ति लिख दें तो

अनुच्छेद प्रभावशाली बन जाता है।

नीचे दिए गए विषयों पर १०० शब्दों में अनुच्छेद लिखिए: -

1) मेरा देश भारत

2) हमारा राष्ट्रीय पक्षी मोर

3) वृक्षों का महत्व

4) कोरोना विषाणु

(संकेत बिंदुः- विषाणु का नाम, उसके लक्षण, विषाणु से बचाव के

उपाय)

2) कहानी-लेखन (Story-writing) की परिभाषा

जीवन की किसी एक घटना के रोचक वर्णन को 'कहानी' कहते हैं।

कहानी सुनने, पढ़ने और लिखने की एक लम्बी परम्परा हर देश में रही है क्योंकि

यह मन को रमाती है और सबके लिए मनोरंजक होती है। आज हर उम का व्यक्ति कहानी

सुनना या पढ़ना चाहता है यही कारण है कि कहानी का महत्त्व दिन-दिन बढ़ता जा रहा है।

बालक कहानी प्रिय होते है। बालकों का स्वभाव कहानियाँ सुनने और सुनाने का होता है।

इसलिए बड़े चाव से बच्चे अच्छी कहानियाँ पढ़ते हैं। बालक कहानी लिख भी सकते हैं।

कहानी छोटे और सरल वाक्यों में लिखी जाती है।

कहानी लिखना एक कला है। हर कहानी-लेखक अपने ढंग से कहानी लिखकर उसमें

| विशेषता पैदा कर देता है। वह अपनी कल्पना और वर्णन-शक्ति से कहानी के कथानक,

| पात्र या वातावरण को प्रभावशाली बना देता है। यों तो कहानी पूर्णतः काल्पनिक भी हो

सकती है, लेकिन पहले छात्रों को दी गई रूपरेखा के आधार पर कहानी लिखने का अभ्यास

| करना चाहिए। विद्यार्थियों को पहले चित्र देखकर और कहानी के संकेत पढ़कर कहानी

लिखने का अभ्यास करना चाहिए।



Anuchchhed Lekhan pdf
अनुच्छेद लेखन के उदाहरण





कहानी लिखते समय निम्नलिखित बातों पर ध्यान दें-

0 दी गई रूपरेखा अथवा संकेतों के आधार पर ही कहानी का विस्तार करें।

(i) कहानी में विभिन्न घटनाओं और प्रसंगों को संतुलित विस्तार दें। किसी प्रसंग को न

अत्यंत संक्षिप्त लिखें, न अनावश्यक रूप से विस्तृत।

(a) कहानी का आरम्भ आकर्षक होना चाहिए ताकि पाठक का मन उसे पढ़ने में रम जाए।

(iv) कहानी की भाषा सरल, स्वाभाविक तथा प्रवाहमयी होनी चाहिए। उसमें क्लिष्ट शब्द

तथा लम्बे वाक्य न हो।

| (v) कहानी को उपयुक्त एवं आकर्षक शीर्षक दें।

(vi) कहानी का अंत सहज ढंग से होना चाहिए।


कहानी-लेखन की विधियाँ (Types)

कहानी का अधिकाधिक प्रचार-प्रसार होने के कारण छात्रों से भी आशा की जाती है कि वे भी

इस ओर ध्यान दें और कहानी लिखने का अभ्यास करें, क्योंकि इससे उनमें सर्जनात्मक

शक्ति जगती है। इसके लिए उनसे अपेक्षा की जाती है कि वे चार विधियों से कहानी लिखने

का अभ्यास करें

(1) कहानी की सहायता या आधार पर कहानी लिखना,

(2) रूपरेखा के सहारे कहानी लिखना,

| (3) अधूरी या अपूर्ण कहानी को पूर्ण करना,

(4) चित्रों की सहायता से कहानी का अभ्यास करना।

| निम्नलिखित मुद्दों के आधार पर लगभग 70 से 80 शब्दों में कहानी

लिखकर उसे उचित शीर्षक दीजिए तथा सीख लिखिए

1) किसी गाँव में अकाल ---- दयालु जमींदार द्वारा रोज लोगों को रोटियों बाँटना---

-- एक बालिका का छोटी रोटी लेना---- घर जाना--------रोटी तोड़ना--------रोटी में

सोने का सिक्का निकलना-------लड़की का जमींदार के पास जाना -------सोने का

सिक्का लौटाना-------- - इनाम पाना --------शिक्षा।

2) गाँव में लड़कियाँ------सभी पड़ने में होशियार------- गाँव में पानी का अभाव------

-लड़कियों का घर के कामों में सहायता करना- बहुत दूर से पानी लाना--

-----पढ़ाई के लिए कम समय मिलना------ लड़कियों का समस्या पर चर्चा

करना------समस्या सुलझाने का उपाय खोजना-

-गाँववालों की सहायता से

प्रयोग करना------

सफलता पाना।

चित्रों की सहायता से लगभग 70 से 80 शब्दों में कहानी लिखकर उसे

उचित शीर्षक दीजिए तथा सीख लिखिए

1)

3) चित्र वर्णन

चित्र-वर्णन करते समय ध्यान रखने योग्य बातें

चित्र का वर्णन करने से पूर्व चित्र को ध्यानपूर्वक देखना

चाहिए। फिर चित्र को देखकर जो विचार मन में उभर रहे हों,

उन पर सोच-विचार करना चाहिए।

इसके बाद उन विचारों को क्रमबद्ध तरीके से लिखना चाहिए

यानि वाक्य एक-दूसरे से संबंधित हों।

यदि चित्र में किसी समस्या का चित्रण है तो हमारे अंदर उसे

पहचानने की शक्ति होनी चाहिए ताकि हम उसके संबंध में

लिख सकें।

चित्र-वर्णन की भाषा सरल, स्पष्ट और प्रवाहपूर्ण होनी चाहिए।

भाषा आमबोलचाल की लिखनी चाहिए।

चित्र-वर्णन वर्तमान काल में ही करना चाहिए। सभी वाक्य

वर्तमान काल के ही हों।

लगभग 30 शब्दों में लिखना चाहिए। यह ध्यान रखें कि

कोई परीक्षक (Examiner) शब्दों को नहीं गिनता।

चित्र-वर्णन में यह समझने की कोशिश करें कि अमुक चित्र

में जो दृश्य है, उस स्थिति में क्या होता है ?

चित्र में चित्रित लोगों के मन को भावों को जानने की

कोशिश करें।

चित्र देखकर यह भी समझने का प्रयास करें कि वह चित्र

आपको क्या प्रेरणा या सीख दे रहा है।


4) पत्र लेखन

पत्र लेखन विचारों के आदान-प्रदान को सशक्त माध्यम है। इसी के माध्यम से लोग अपने मन की बात अपने से दूर रहने वाले

व्यक्ति तक पहुँचाते हैं। पत्र लेखन एक कला है। पत्र लिखने के लिए निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए।

• पत्र की भाषा सरल. स्पष्ट व सरस होनी चाहिए।

• पत्र भेजने वाले का नाम, पता, दिनांक आदि का स्पष्ट उल्लेख होना चहिए।

• परीक्षा भवन में पत्र लिखते समय अपने नाम के स्थान पर क ख ग लिखना चाहिए। यदि प्रश्न-पत्र में किसी के नाम का

उल्लेख किया गया हो, तो वही नाम लिखना चाहिए।

• पत्र प्राप्तकर्ता की आयु संबंध, योग्यता आदि को ध्यान में रखते हुए भाषा का प्रयोग करना चाहिए।

• पत्र के अंत में लिखने वाले और प्राप्त करने वाले के संबंधों के अनुरूप शब्दावली का प्रयोग अवश्य करना चाहिए।

पत्र के प्रकार

(क) औपचारिक पत्र

(ख) अनौपचारिक पत्र

(क) औपचारिक पत्र-औपचारिक पत्र ऐसे लोगों को लिखे जाते हैं जिनसे लिखने वाले का कोई व्यक्तिगत या पारिवारिक संबंध

नहीं होता है। औपचारिक पत्रों को तीन वर्गों में विभाजित किया जाता है।

1. प्रार्थना पत्र - अवकाश, शिकायत सुधार आवेदन के लिए लिखे गए पत्र आदि।

2. कार्यालयी पत्र - किसी सरकारी अधिकारी अथवा विभाग को लिखे गए पत्र आदि।

3. व्यावसायिक पत्र- दुकानदार, प्रकाशक, व्यापारी, कंपनी आदि को लिखे गए पत्र आदि।

नीचे दिए गए विषयों पर औपचारिक पत्र लिखिए

1. विद्यालय छोड़ने का प्रमाण-पत्र प्रदान करने के लिए प्रधानाचार्य को प्रार्थना पत्र लिखिए।

2. विद्यालय के प्रधानाचार्य को अवकाश के लिए प्रार्थना-पत्र लिखिए।

3. अपने क्षेत्र की सफाई के लिए नगर निगम के स्वास्य अधिकारी को पत्र लिखिए।

4. पुस्तक विक्रेता से पुस्तक मॅगवाने के लिए पत्र लिखिए।

औपचारिक पत्र का नमूना

औपचारिक पत्र

विद्यालय छोड़ने का प्रमाण पत्र प्रदान करने के लिए प्रधानाचार्य को प्रार्थना पत्र लिखिए।

सेवा में

प्रधानाचार्य महोदय

दिल्ली पब्लिक स्कूल

आर के पुरम, नई दिल्ली

दिनांक...

महोदय

सविनय निवेदन है कि मैं आपके विद्यालय की छठी ए कक्षा का छात्र हूँ। मेरे पिता जी को स्थानांतरण (तबादला राजस्थान के

जोधपुर शहर में हो गया है। पिता जी के साथ पूरा परिवार भी जोधपुर जा रहा है। मेरा यहाँ अकेले रहना संभव नहीं है इसलिए मैं

भी जोधपुर में ही शिक्षा प्राप्त करूंगा।

अतः आपसे विनम निवेदन है कि मुझे विद्यालय छोड़ने का प्रमाण-पत्र प्रदान करें ताकि मैं वहाँ किसी अच्छे विद्यालय की छठी

कक्षा में प्रवेश ले सके। इसके लिए मैं सदा आभारी रहूँगा। आपका आज्ञाकारी छात्र

ओजस्व तिवारी

छठी ए अनुक्रमांक-2

दिनांक

(ख) अनौपचारिक पत्र- इस वर्ग में वैयक्तिक तथा पारिवारिक पत्र आते हैं। इस प्रकार के पत्र माता-पिता, भाई-बहन, दादा-दादी,

मित्र-सहेली तथा संबंधियों को लिखे जाते हैं।

नीचे दिए गए विषयों पर अनौपचारिक पत्र लिखिए

1.अपने मित्र को अपने जन्म दिन पर आमंत्रित करते हुए पत्र लिखिए।

2. अपने छोटे भाई को परीक्षा में सफलता पाने पर बधाई पत्र लिखिए।

अनौपचारिक पत्र का नमूना

अपनी छोटी बहन को समय का सदुपयोग करने की सलाह देते हुए पत्र लिखिए।

18, जीवन नगर

गाजियाबादा

दिनांक 19-3-200x

प्रिय कुसुमलता.

शुभाशीष।

आशा करता हूँ कि तुम सकुशल होगी। छात्रावास में तुम्हारा मन लग गया होगा और तुम्हारी दिनचर्या भी नियमित चल रही

होगी। प्रिय कुसुम, तुम अत्यन्त सौभाग्यशाली लड़की हो जो तुम्हें बाहर रहकर अपना जीवन संवारने का अवसर प्राप्त हुआ है.

परन्तु वहाँ छात्रावास में इस आजादी का तुम दुरुपयोग मत करना। बड़ा भाई होने के नाते मैं तुमसे यह कहना चाहता हूँ कि तुम

समय का भरपूर सदुपयोग करना। तुम वहाँ पढ़ाई के लिए गई हो। इसलिए ऐसी दिनचर्या बनाना जिसमें पढ़ाई को सबसे अधिक

महत्त्व मिले। यह सुनहरा अवसर जीवन में फिर वापस नहीं आएगा। इसलिए समय का एक-एक पल अध्ययन में लगाना

मनोरंजन एवं व्यर्थ की बातों में ज्यादा समय व्यतीत न करना। अपनी रचनात्मक रुचियों का विस्तार करजा। खेल-कूट को भी

पढाई जितना ही महत्त्व देना। आशा करता हूँ तुम मेरी बातों को समझाकर अपने समय का उचित प्रकार सदुपयोग करोगी तथा

अपनी दिनचर्या का उचित प्रकार पालन करके परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त करोगी। शुभकामनाओं सहित।

तुम्हारा भाई

कैलाश

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