second terminal examination 2023 class 9 hindi , 2nd terminal exam 9th hindi question paper 2023 pdf
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2nd term exam Class 9th hindi |
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second terminal examination 2023 9th hindi question paper
समय - 3 घंटे 15 मिनट ]
परीक्षार्थियों के लिए निर्देश-
(क) परीक्षार्थी यथासम्भव अपने शब्दों में ही उत्तर दें।
(ख) दाहिनी ओर हाशिये पर दिए हुए अंक पूर्णांक निर्दिष्ट करते
(ग) यह प्रश्न-पत्र दो खण्डों में है- खण्ड 'अ' एवं खण्ड 'ब'।
खण्ड 'अ' (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
निर्देश- प्रश्न संख्या 01 से 60 तक वस्तुनिष्ठ प्रश्न हैं। इनमें किन्हीं
उत्तर देने हेतु OMR में दिए गए सही वृत्त को काले/नीले.
1. शिवपूजन सहाय का जन्म कब हुआ?
(A) 1890 ई० (B) 1893 ई०
'अष्टावक्र' पाठ के लेखक कौन हैं?
2.
परीक्षा, 2023
वर्ग - नवम
हिन्दी
4.
5.
(C) 1903 इ (D) 1830 ई०
(A) विष्णु प्रभाकर (B) राजेन्द्र प्रसाद (C) शिव पूजन सहाय (D) अमृतलाल नागर
3. 'देहाती दुनिया' उपन्यास है-
(D) शहरी
(A) आंचलिक
(B) धार्मिक
'बारूद की पुड़िया होना' मुहावरे का अ
(A) बहुत तेज (B) मध्यम
'लाल पान की बेगम' शीर्षक की विध
(D) बहुत मंद
धर्मग्रंथ 'गुरुग्रंथ साहब' में संकलित है?
(D) तीस
(A) कहानी
(B) उपन्यास
6. रैदास के कितने पद सिखों के प
(A) बीस
‘आ रही रवि की सवारी कि
(A) क्या भूलूँ क्या याद क
किसकी सा
7.
8. दूसरे पद में कवि
(A) निर्गुण की
9. नालंदा विश्व विद्याल
(A) उत्तर प्रदेश
10. रैदास की रचनाओं
(A) पंजाबी
11. मंझन की सुपरिबना कौन-सी है?
(A) गोदान ? (B) कामायनी
फी संत कवि कौन है?
(B) तुलसीदास
अवस्थित है-
अन्तिम गुरु कौन थे?
का अर्थ है-
(B) रामदास
ता संग्रह से संकलित है?
निशा निमंत्रण (C) सबेरे से दूर (D) एकांत गीत
15. गुरु गोविन्द सिंह का मूल नाम क्या है?
(A) गोविन्द राम
(B) बैजनाथ
16. गुरु गोविन्द सिंह के गुरु कौन थे?
(A) गुरु तेगबहादुर (B) अजब सिंह (C) गोरख सिंह
17. अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध' की सुप्रसिद्ध काव्यकृति है-
(C) मंझन
(D) कबीरदास
(C) गुरु गाविन्द सिंह (D) तेगबहादुर
(C) मूल्यहीन (D) नंगा
Bihar Board Class 9th Second Terminal Exam 2023 HINDI (हिन्दी) Subjective Questions
खण्ड 'ब' (गैर-वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
1. निम्नांकित गद्यांशों को ध्यानपूर्वक पढ़ें और नीचे
(क) विधाता का सर्वोपरि उपहार मानव है। मानव की
शक्ति है। वाक्शक्ति प्रकृति प्रदत्त एक उपहार
गए प्रश्नों के उत्तर दें।
बड़ी विशेषता उसकी वाक्
है। मन की चिन्तनधारा अत्यधिक
दिए
सबसे
समृद्ध होने के कारण/वाक्शक्ति में पूर्ण क्षमता आ जाती है। इसलिए, हृदय में उत्पन्न
भाव चिन्तन प्रक्रिया से अपना स्तार पाता है। संवेगात्मक अवस्था में आकर
वाक्शक्ति द्वारा वह
अभिव्यक्त होने लगता है। भाषण, संवाद और बातचीत
वाक्शक्ति की अभिव्यक्ति के माध्यम होते हैं। व्यक्तित्व की पहचान जितना अधिक
बातचीत के माध्यम से होता है, उतना भाषण या संवाद से नहीं। भाषण से भाषा और
क्षणिक चिन्तन का परिचय मिलता है, परन्तु बातचीत मन की गहराई या धारणा का
परिचय देती है। जिस व्यक्ति को वाक्शक्ति प्राप्त रहती है, वह अपनी सोच से संवाद
प्रस्तुत करता है।
(1) विधाता का सर्वोपरि उपहार क्या है?
(ii) वाक्शक्ति क्या है?
(iii) वाक शक्ति की अभिव्यक्ति के माध्यम क्या हैं?
(iv) व्यक्तित्व की पहचान किससे होती है?
(v) भाषण से किसका परिचय मिलता है?
( Q. 1 क ) । उत्तर विधाता का सर्वोपरि उपहार मानव है।
( Q. 1क) ii उत्तर- वाक्शक्ति प्रकृति प्रदत एक उपहार है।
(Q. 1क) iii उत्तर भाषण, संवाद और बातचीत वाक्शक्ति की
अभिव्यक्ति के माध्यम होते हैं।
(ख) शिक्षा एक प्रकाश पुंज है। मानव जीवन तिमिर घने धुंध में अपना सच ग्रहण करता
है, पर आँख रहते हुए भी वह शिक्षा के बिना अंधा रहता है। शिक्षा उसे दिव्यदृष्टि
देती है। शिक्षा से जानवर भी मनुष्य बन जाता है। घोड़ा, कुत्ता, बन्दर और तोता जैसे
जीव मनुष्य की संगति में आकर समझदार और मनुष्योचित गुणों से परिपूर्ण हो जाते
हैं। शिक्षा एक ज्योति है, उसे प्राप्त करना मानव धर्म बन जाता है, जीवन में इसकी
परम आवश्यकता है। जिस तरह रोटी, कपड़ा और मकान हमारे जीवन के मूल आधार
हैं, उसी प्रकार शिक्षा
भी
(Q. 1क) iv उत्तर– व्यक्तित्व की पहचान बातचीत के माध्यम से
होती है।
(1) प्रकाश पुंज क्या है?
(ii) मनुष्य किसके बिना अंधा रहता है?
(iii) मनुष्य की संगति में आकर समझदार कौन बन जाते हैं?
(iv) मानव धर्म क्या बन जाता है?
(v) हमारे जीवन के मूल आधार क्या है?
(Q.1ख) ii उत्तर-
(Q.1ख) iii उत्तर-
के संगति में आकर
( Q. 1 क ) v उत्तर- भाषण से भाषा और क्षणिक चिंतन का परिचय
मिलता है।
( Q. 1ख ) । उत्तर - शिक्षा एक प्रकाश-
मनुष्य
धर्म बन जाता है।
2
2
।
बिना अंधा रहता है ।
मझदार बन जाते हैं ।
2
• बंदर और तोता जैसे जीव मनुष्य
शिक्षा एक ज्योति है, उसे प्राप्त करना मानव
( Q. 1ख) v उत्तर - रोटी, कपड़ा, मकान और शिक्षा हमारे जीवन
के मूल आधार है।
2. निम्नलिखित में किसी एक विषय पर लगभग 200 शब्दों में निबंध लिखिए- 10
(i) भ्रष्टाचार (ii) किसान (ii) राष्ट्रभाषा हिन्दी (iv) बेटी बचाओ, बेटी पढाओ
परीक्षा की
( Q.2 ) उत्तर-
भ्रष्टचार का अर्थ एवं स्वरूप भ्रष्टाचार से तात्पर्य है बिगड़े हुए
अथवा भ्रष्ट आचरण की स्थिति भ्रष्ट लोग जब सामाजिक स्तर पर नैतिक
मूल्यों को ताक पर रखकर अनैतिकता फैलाते हैं, कानून की सीमाओं का
उल्लघंन करते हैं तब समाज को भ्रष्टाचार से ग्रस्त कहा जाने लगता है।
भ्रष्टाचारी व्यक्ति अपने निजी स्वार्थों की सिद्धि के लिए बराबर प्रयत्नशील
रहते हैं। बेईमानी, चोरबाजारी, रिश्वतखोरी, तानाशाही आदि सारी सामाजिक
बुराइयाँ भ्रष्टाचार को ही जन्म देती है। इन सबसे लोभ, स्वार्थ अहित तथा
अहंकार को बल मिल सकता है।
भ्रष्टाचार का वर्तमान स्वरूप भ्रष्टाचार का जीवन में सर्वत्र बोलबाला
है। समाज के किसी भी पक्ष को ले लीजिए, उनमें भ्रष्टाचार की जड़ें
काफी गहरी मिलेंगी। किसी समाज अथवा देश के जन-जीवन के दो पक्ष
वैयक्तिकता
हैं।
पूर्व भ्रष्टचार में लिप्त रहने
विवश होना पड़ा। मुख्यमंत्री
जब भ्रष्टाचार में लिप्त रहते
हाथ धोने से पीछे क्यों रहेंगे ?
कई सदस्यों को प्रतिभूति घोटाले में
सॉलिप्त होने के कारण अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा। कुछ समय पूर्व
जापान की मंत्रिपरिषद्
एक सरकारी तंत्र पर आश्रित है तो दूसरा व्यक्ति समुदाय
पर टिका है। प्रष्टाचार की जड़े इन दोनों की धरातल
राजनीतिज्ञ और भ्रष्टाचार कुछ समय
के कारण एक मुख्यमंत्री को इस्तीफा देने के।
जैसे गौरवशाली पद पर आसीन व्यक्ति
हैं तो सामान्य पदाधिकारी बहती गंगा
कुछ दिन पूर्व केन्द्रीय मंत्रिमंडल
कुछ सदस्यों को भी भ्रष्टाचार के कारण इस्तीफा
देना पड़ा।
निवारण के उपाय भ्रष्टाचार रोकने के लिए पहले यह आवश्यक
हो जाता है कि भ्रष्टाचार को बल देने वाले सारे कारणों की छानबीन की
जाए। इन कारणों का विशद् अध्ययन करके वे साधन जुटाए जाएँ जिनका
अभाव भ्रष्टाचार को जन्म देता है। इस स्थिति में—'न रहेगा बाँस न बजेगी
बाँसुरी।' इन कारणों तथा समाधानों के संदर्भ में समाज के लिए पुनः नैतिक
शिक्षा के माध्यम से ऐसा वातावरण देने की आवश्यकता है, जिससे कानून
प्रियता, उत्तरदायित्व, लोकमंगल की भावना तथा मानवतावाद की विचारधारा
का जन्म हो सके। समाज को सच्चरित्र वाला बनाना भ्रष्टचार को रोकने
का विशेष उपाय है।
उपसंहार अन्ना ने भ्रष्टाचार के खिलाफ एक आंदोलन शुरू किया है।
हमारे हर डिपार्टमेंट में भ्रष्टाचार व्याप्त है। इसके खिलाफ अन्ना हजारे ने
अकेले ही अभियान शुरू कर दिया है।
( Q. 3) उत्तर-
"सेवा में,
4.
बचाओ, बटा पढ़ाओं
3. परीक्षा की तैयारी के लिए बड़े भाई से मार्गदर्शन हेतु एक पत्र लिखें।
अथवा, परीक्षा शुल्क माफ करने हेतु प्रधानाध्यापक को एक आवेदन पत्र लिखें।
5
प्रधानाचार्य महोदय,
केन्द्रीय विद्यालय, आरा
विषय परीक्षा शुल्क माफ करने के संबंध में।
महाशय,
सविनय निवेदन है कि मैं दसवीं कक्षा का विद्यार्थी हूँ। मैं एक
निर्धन परिवार से संबंध रखता हूँ। मेरे पिताजी का एक छोटा-सा किराना
स्टोर की दुकान है जिससे अच्छी आमदनी नहीं हो पाती है। मेरे पिताजी
परिवार का भरण-पोषण तो कर लेते हैं लेकिन मेरी पढ़ाई का बोझ उठाने
में असमर्थ है।
को माफ करने
अतः मैं आपसे आग्रह करता हूँ कि मेरे परीक्षा
की कृपा करें। इसके लिए मैं सदा आपका आभारी रहूँगा।
दिनांक
पका आज्ञाकारी शिष्य
शान्तनु दुबे
क्रमांक 2
वर्ग - X
निम्नलिखित में किन्दी पाँच प्रवों के उत्तर अपने शब्दों में लिखे
(1) मुंशीजी के बड़े भाई क्या है?
(11)-विर को मां को
कम क्यों कहा गया है?
(III) साबे दादा कौन थे? भारतीय सिनेमा में उनका क्या योगदान ?
यह रहा था?
(iv)
(v) कवि ने 'अब कैसे छूटे राम नाम रट लागी क्यों कहा है?
(VT) कवि ने अपने ईश्वर को किन-किन नामों से पुकारा है?
(vii) कवि ने मध्ये प्रेम की
बनाई है?
कवि को क्यों
है?
(पक से जलते है' में 'दीपक' का क्या अभिप्राय है?
(x)टक्क्या?
5+2=10
( Q.4) 1 उत्तर- मुंशी जी के बड़े भाई पुलिस दरोगा थे |
(Q.4)ii उत्तर- बिरजू की मां को लाल पान की बेगम इसलिए
कहा गया है क्योंकि वह खुशमिजाज तथा सौंदर्य प्रिय महिला है।
जब गाड़ी बलरामपुर की ओर चलती है, वह साथ बैठी महिलाओं
कहा गया है क्योंकि वह खुशमिजाज तथा सौंदर्य प्रिय महिला है।
जब गाड़ी बलरामपुर की ओर चलती है, वह साथ बैठी महिलाओं
को गीत गाने के लिए प्रेरित करती है तथा स्वयं भी गीत गाने के
लिए उत्सुक हो जाती है। वह जंगी की पतोहू की प्रशंसा करती हुई
कहती है, कितनी प्यारी पतोहू है। गौने की साड़ी से एक खास
किस्म की गंध निकलती है। उसकी ऐसी मनोदशा देखकर ही
जंगी की पतोहू ने कहा था कि चल दिदिया यहां लालपान की
बेगम बस्ती है। उसकी इस युक्ति को गाड़ी पर बैठी सभी औरते
स्वीकारती हैं कि वह सचमुच लाल पान की बेगम है।
(Q.4)iv उत्तर - अष्टावक्र कुएँ की जगत पर रहता था ।
(Q.4)vii उत्तर – कवि ने सच्चे प्रेमी की कसौटी
बताया है कि सच्चा प्रेमी अर्थात् जो ईश्वर
समझकर उसे पाने का प्रयास करता
अलावा किसी से कोई मोह नहीं:
बंधन भी नहीं बाँध सकते।
( Q. 4 ) x उत्तर - वह
मूंग की की
था । अवसर कचालू की चाट,
दही के आलू और पानी के बतासे -
Bihar board Class 9th hindi half yearly exam paper 2023 PDF
इन सबको एक काले से लोहे के थाल में सजाकर वह बेचा करता
था ।
5.
बताते हुए यह
ही अपना प्रेमी
सच्चा प्रेमी ईश्वर के
है। उसे मोह और संसार के
निम्नांकित गद्यांश की सप्रसंग व्याख्या करें-
"राम मैं पूजा कहाँ चढ़ाऊँ। फल अरू मूल अनूप न पाऊँ।
थनहर दूध जो बछरू जुठारी। पुहुप भँवर जल मीन बिगारी॥"
अथवा, “एक दिन वह था कि भाई साहब के पेशाब से चिराग जलता था, और एक
दिन यह भी है कि मेरी हड्डियाँ मुफलिसी की आँच से मोमबत्तियों की तरह
घुल-घुलकर जल रही हैं। "
(Q.5) उत्तर.
-
कराया
व्याख्या—प्रस्तुत पद निर्गुण भक्तिधारा के संत कवि रैदास द्वारा लिखित है। इसमें कवि ने निर्गुण भक्ति की महत्ता पर
प्रकाश डालता है। कवि का कहना है कि पूजा-अर्चना दिखावा है. सगुण भक्ति तथा कर्मकांड निरर्थक हैं, क्योंकि ईश्वर
किसी चढ़ावे से प्रसन्न नहीं होता। ईश्वर तो सच्चे दिल की पुकार अथवा आंतरिक पूजा से प्रसन्न होता है। कवि प्रभु से
आत्म-निवेदन करते हुए कहता है कि तुम्हारी पूजा किन चीजों से करूँ | मेरे पास न तो अनजूठे फल तथा कंद-मूल है,
ओर न गाय का अन जूठा दूध है. भोरे ने फूल का रस चूसकर उसे रसहीन बना दिया है तो मछली ने जल को दूषित कर
दिया है। साँप ने चन्दन को छेदकर विषेला बना दिया है अर्थात् साँप के लिपटे रहने के कारण चन्दन विष युक्त हो गया है।
इसलिए सच्चे मन से तुम्हारा स्मरण कर तुम्हें अपने हृदय में बसाकर उस अद्भुत छवि को निहारता हूँ। कवि ईश्वर से
प्रार्थना करते हुए कहता है कि हे प्रभु। तुम्हारी पूजा-अर्चना की विधि का ज्ञान नहीं है, इसलिए मेरी कौन-सी गति होगी।
कवि के कहने का तात्पर्य है कि उसे सांसारिक बाह्याडंबर से कोई लेना देना नहीं है. कवि को प्रभु के नाम स्मरण का
भरोसा है।