rashtra nirman hindi ki bhumika in hindi
आज संचार साधनों की बदौलत स्थानों के बीच की दूरियां बेमानी हो गई हैं या यह भी कह सकते हैं कि एक तरह से मिट गई है। संपूर्ण विश्व एक गांव बन गया है, जिसमें कभी भी, कहीं से भी किसी से भी
तत्काल संपर्क स्थापित हो सकता है, यदि आपके पास उसके लिए अपेक्षित साधन हों। यह भी भविष्यवाणी की जा रही है कि वैश्वीकरण के इस दौर में विश्व की दस भाषाएं ही जीवित रहेंगी, जिनमें हिंदी भी एक होगी।
Rastra nirman mein hindi ki bhumika |
rashtra nirman mein hindi ki bhumika in hindi essay
वैश्वीकरण एवं बाजारवाद के संदर्भ में हिंदी का महत्व
इसलिए बढ़ेगा क्योंकि भविष्य में भारत व्यावसायिक
व्यापारिक एवं वैज्ञानिक दृष्टि से एक विकसित देश
होगा। विश्वभाषाएं तो विश्व की उस प्रत्येक भाषा
को कहा जा सकता है, जिसमें प्रयोक्ता एकाधिक
देशों में बसे हुए हैं किंतु विश्वभाषा पद की वास्तविक
अधिकारिणी वे भाषाएं हैं, जो विश्व के अधिकतर देशों में संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा तथा इसकी विभिन्न समितियों एवं उपसमितियों के लिए आधिकारिक तथा कार्य संचालन की भाषाओं की व्यवस्था की गई है। संयुक्त राष्ट्र महासभा के प्रथम अधिवेशन में अंतरराष्ट्रीय न्यायालय को छोड़कर इसके सभी संगठनों के लिए अंग्रेजी, फ्रेंच, रूसी, चीनी और स्पेनिश को आधिकारिक भाषा के रूप में स्वीकार किया गया था।
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वर्तमान में संयुक्त राष्ट्र संघ की छह आधिकारिक
भाषाएं हैं। अरबी को यूएन की ऑफिशियल लैंग्वैज का दर्जा वर्ष 1973 में मिला था। भारत संयुक्त राष्ट्र संघ में एक महत्वपूर्ण देश है। हिंदी को संयुक्त राष्ट्र संघ की आधिकारिक भाषा बनाए जाने की मुहिम की शुरूआत भारत के नागपुर में 10 जनवरी, 1975 को आयोजित प्रथम विश्व हिंदी सम्मेलन में हुई थी। श्री अटल बिहारी वाजपेयी ने संयुक्त राष्ट्र संघ में वर्ष 1977 में विदेश मंत्री के तौर पर और वर्ष 2002 में प्रधानमंत्री के तौर पर हिंदी में भाषण दिया था। वर्ष 2003 में सूरीनाम में सातवां विश्व हिंदी को विश्वभाषा का दर्जा मिलना चाहिए।
03 जनवरी, 2018 को लोकसभा में पूछे गए प्रश्न के जवाब में विदेश मंत्री श्रीमती सुषमा स्वराज ने बताया कि संयुक्त राष्ट्र संघ की सातवीं आधिकारिक भाषा के रूप में हिंदी को स्थान दिलाने के लिए कुल 193 सदस्य देशों में से दो तिहाई बहुमत यानी न्यूनतम 129 सदस्य देशों के समर्थन की आवश्यकता है। इसके साथ ही हिंदी को संयुक्त राष्ट्र की आधिकारिक भाषा की मान्यता दिए जाने के बाद होने वाला खर्च भी भारत को ही उठाना होगा। एक अनुमान के अनुसार इसके लिए शुरू में लगभग एक अरब रूपये खर्च करने होंगे।
हिंदी विश्वभाषा की ओर सकारात्मक प्रवृत्तियां
हिंदी एक विश्वभाषा है, क्योंकि वह एक देश की
राष्ट्रभाषा होने के साथ-साथ अन्य देशों में भी पर्याप्त
संख्या में लोगों द्वारा लिखी, बोली और समझी जाती
है। वैश्वीकरण के परिप्रेक्ष्य में हिंदी के प्रति सकारात्मक प्रवृत्तियां इस प्रकार दिखाई दे रही हैं -
भौगोलिक आधार पर हिंदी विश्व भाषा है क्योंकि
इसके बोलने-समझने वाले संसार के सब
पढ़ी, लिखी, बोली, सुनी और समझी जाती है। वस्तुतः प्रत्येक विश्वभाषा के प्रमुख कार्य होते हैं- बोलचाल एवं जनसंपर्क, साहित्य सृजन, शिक्षा एवं जनसंचार माध्यम,प्रशासनिक कामकाज, व्यावसायिक और तकनीकी अनुप्रयोग और विश्वबोध या वैश्विक चेतना बुंदेली बघेली, मागधी, छत्तीसगढ़ी और जाने कितनी हिंदी में ब्रज, अवधी, भोजपुरी, राजस्थानी, पहाड़ी, लोकोक्तियां रच-बस गई है। इसके अलावा हिंदी उपजन भाषाओं के शब्द भंडार, मुहावरे और उसकी भाषा का भारत की अन्य भाषाओं के साथ शताब्दियों से घनिष्ठ संपर्क रहा है। विश्वभाषा से तीसरी अपेक्षा है में भी अनेक राज्यों में निवास करने के कारण प्रांतीयता कि भाषा में विश्व मन का भाव हो। हिंदी भाषी अपने देश से ऊपर उठा हुआ है और उसके पास ऐसे साहित्य की विशाल परंपरा है, जो विश्व के पाठकों को अपनी ओर
आकर्षित करता है।
संयुक्त राष्ट्र संघ में प्रयुक्त भाषाएं महाद्वीपों में फैले हैं।
> जनतांत्रिक आधार पर हिंदी विश्व भाषा है क्योंकि
उसके बोलने-समझने वालों की संख्या संसार में
तीसरी है।
संयुक्त राष्ट्र की प्रक्रिया नियम 51 से 57 में विश्व के 132 देशों में जा बसे भारतीय मूल के लगभग 2 करोड़ लोग हिंदी माध्यम से ही अपना कार्य निष्पादित करते हैं।
विश्व हिंदी सम्मेलन 18-20 मस्त 2018
एशियाई संस्कृति में अपनी विशिष्ट भूमिका के
कारण हिंदी एशियाई भाषाओं से अधिक एशिया
की प्रतिनिधि भाषा है। हिंदी का किसी देशी या विदेशी भाषा से कोई विरोध नहीं है। अनेक भाषाओं के शब्द ग्रहीत होकर हिंदीमय बन गए हैं। यही कारण है कि आज हिंदी का शब्दकोश विश्व का सबसे बड़ा
भाषिक शब्दकोश है।
> हिंदी स्वयं में अपने भीतर एक अन्तरराष्ट्रीय जगत छिपाए हुए हैं। आर्य, द्रविड़, आदिवासी, स्पेनी, पुर्तगाली, जर्मन, फ्रेंच, अंग्रेजी, अरबी, फारसी, चीनी, जापानी सारे संसार की वाँ भाषाओं के शब्द इसकी अन्तरराष्ट्रीय
मैत्री एवं वसुधैव कुटुम्बकम वाली प्रवृत्ति को उजागर करते हैं। हिंदी का साहित्येतर लेखन बढ़ा है तथा लेखन का स्तर भी ऊंचा होता जा रहा है।
गुणवता की दृष्टि है अनुवाद की स्थिति बेहतर होती जा रही है। लघु पत्रिकाओं में मौलिक और अनुवाद के प्रकाशन का स्वागत और स्वीकार्यता बढ़ती जा रही है।
प्रवासी भारतीय (एनआरआई) वैश्वीकरण का सबसे प्रत्यक्ष वाहक लगते हैं और आडियो-वीडियो और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से उसके बीच हिंदी एक जीवंत कड़ी बन रही है।
इंटरनेट पर हिंदी भी स्वीकार्य और लोकप्रिय हो
रही है। हिंदी पत्रकारिता और हिंदी साहित्य भी
अब इंटरनेट के माध्यम से विश्वभर में प्रसारित होने लगा है।
देश-विदेश में प्रकाशित होने वाले पत्र-पत्रिकाओं
ने हिंदी को विश्वभाषा बनाया है।